Mirza Ghalib Shayari in Hindi 

www.romanticshayari.co.in

हमें पता है तुम कहीं और  के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !

इश्क़ ने गालिब  निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी  आदमी थे काम के !

वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं, दिल का दौरा क्या पड़ा  ये दाग भी धुल गया !

फिर उसी बेवफा  पे मरते हैं, फिर वही जिंदगी  हमारी है ।

मौत पे भी मुझे यकीन है, तुम पर भी ऐतबार है, देखना है पहले कौन आता है, हमें दोनों का इंतजार है !