हुत तमन्ना थी, प्यार में आशियाना बनाने की बना चुके तो लग गयी नजर ज़माने की उसी का क़र्ज़ हैं जो आज हैं आँखों में आंशू सजा मिली हैं हमें मुस्कुराने की .
हुत तमन्ना थी, प्यार में आशियाना बनाने की बना चुके तो लग गयी नजर ज़माने की उसी का क़र्ज़ हैं जो आज हैं आँखों में आंशू सजा मिली हैं हमें मुस्कुराने की .