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एक रात हुई बरसात बहुत

एक रात हुई बरसात बहुत मैं रोया सारी रात बहुत हर गम था जमाने का लेकिन मैं तनहा था उस रात बहुत फिर आंख से ईक सावन बरसा जब सहर हुई तो ख्याल आया वो बादल कितना तनहा था जो बरसा सारी रात बहुत

पत्थर की है दुनिया,

चाँद पर दाग हैं