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इस कदर हम यार को मनाने निकले!

इस कदर हम यार को मनाने निकले!
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले!
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा!
उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले

गम ही गम मिला है सुबह शाम मुझे यारो

तुम्हारे हर राज की हमराज बन जाना चाहती हूँ ,